उत्तराखंड का परिचय भाग 4:-
उत्तराखण्ड की प्रमुख नदियां इस प्रकार हैं
1- गंगा:-
हिन्दुओं की अत्यंत पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल मुख्य हिमालय को दक्षिणी श्रेणियां हैं। गंगा का आरम्भ भगीरथी व अलकनन्दा के रूप में होता है।
अलकनन्दा की दो प्रमुख धारायें धौली गंगा एवं विष्णु गंगा हैं जो विष्णु प्रयोग के निकट परस्पर मिलती हैं।
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गंगा नदी भगीरथी के रूप में गौमुख स्थान के निकट 25 किलोमीटर लम्बे गंगोत्री हिमनद (3900 मीटर) से निकलती है।
अलकनन्दा वद्रीनाथ शिखर के मध्य गहरे गड्ढे में होकर संकीर्ण चाटी में बहती हुई नन्दादेवी से निकलने वाली पिण्डर नदी का जल, कर्णप्रयाग नामक स्थान से लेती हुई देवप्रयाग नामक स्थान पर भगीरथी से मिल जाती है। मन्दाकिनी नदी केदारनाथ के दक्षिण में अलकनन्दा से मिलती है। देवप्रयाग से भगीरथी एवं अलकनन्दा एक होकर गंगा के रूप में शिवालिक पहाड़ियों से होती हुई ऋषिकेश पहुंचती है इसके उपरान्त हरिद्वार में पहुंचकर मैदानी भाग में प्रवेश करती है। गंगा के पर्वतीय प्रवाह के क्षेत्र का दृश्य अत्यन्त मनमोहक है। बद्रीनाथ, केदारनाथ रुद्रप्रयाग तथा कर्णप्रयाग आदि धार्मिक स्थान इसी क्षेत्र में स्थित हैं।
गंगा नदी जिसे गंगा भी कहा जाता है, देवप्रयाग से निकलती है और उत्तराखंड में हरिद्वार में मौजूद है। गंगा नदी का स्रोत गंगोत्री ग्लेशियर, सतोपंथ ग्लेशियर, खतलिंग ग्लेशियर और नंदा देवी, त्रिशूल, केदारनाथ, नंदा कोट और कामेट की बर्फ से ढकी चोटियों का पिघला हुआ पानी है। गंगा नदी देवप्रयाग में पवित्र नदियों भागीरथी और अलकनंदा के संगम से शुरू होती है। उत्तराखंड में इस नदी की लंबाई करीब 96 किमी है।
गंगा हिमालय की घाटी से होकर बहती है, ऋषिकेश के पहाड़ी इलाकों से निकलती है और पवित्र शहर हरिद्वार में गंगा के मैदान में उतरती है। गंगा की बाएँ किनारे की सहायक नदियाँ रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडकी, बागमती, कोशी, महानंदा हैं। इसके दाहिने किनारे की सहायक नदियाँ यमुना, तमसा, सोन और पुनपुन हैं। पवित्र गंगा नदी गंगोत्री ग्लेशियर में गौमुख से निकलती है और भारत गंगा के मैदान को पोषण देने के लिए अनंत काल तक बहती है।
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गंगा के पानी में पवित्र डुबकी लगाना पवित्र माना जाता है, क्योंकि यह आत्मा को शुद्ध करता है और आत्मा को भगवान से जोड़ता है। पवित्र गंगा नदी में पवित्र स्नान करने के लिए दुनिया भर से कई भक्त उत्तराखंड आते हैं। गंगा नदी के किनारे के शहर गंगोत्री, ऋषिकेश, हरिद्वार, इलाहाबाद और वाराणसी हैं।
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इन स्थानों को पवित्र माना जाता है और शांति और आध्यात्मिकता की तलाश में हर साल कई भक्तों द्वारा अक्सर दौरा किया जाता है, कई छोटी और बड़ी धाराओं में गंगा के हेडवाटर शामिल होते हैं, लेकिन छह सबसे लंबी धाराएं और उनके पांच संगम पवित्र माने जाते हैं। छह हेडस्ट्रीम। अलकनंदा, धौलीगंगा, नंदाकिनी, पिंडर, मंदाकिनी और भागीरथी नदियाँ हैं।
धौलीगंगा विष्णुप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है। नंदाकिनी नंदप्रयाग में मिलती है। पिंडर कर्णप्रयाग में मिलती है, मंदाकिनी रुद्रप्रयाग में मिलती है और अंत में भागीरथी देवप्रयाग में अलकनंदा में मिलती है। इस प्रकार गंगा नदी का निर्माण होता है। गंगा नदी पर जलविद्युत परियोजनाएं उत्तरकाशी जिले में लोहारीनाग पाला जलविद्युत परियोजना (एनटीपीसी) हैं। जोशीमठ जिले में तपोवन विष्णुगढ़ हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट (एनटीपीसी), जोशीमठ जिले में लता तपोवन हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट (एनटीपीसी)। उत्तरकाशी में मनेरी भाली हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट (यूजेवीएल) और मनेरी तिलोथ हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट (यूजेएनवीएनएल)।
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गंगा नदी पर कई नहरें, बांध और बैराज भी बनाए गए हैं। गंगा नदी के पानी का उपयोग सिंचाई, बिजली उत्पादन और खपत के लिए किया जाता है। गंगा का अशांत पानी व्हाइट रिवर राफ्टिंग और कयाकिंग जैसी साहसिक गतिविधियाँ भी प्रदान करता है।
2. यमुना:-
यमुना का उद्गम स्थल बंदरपूंछ के पश्चिमी ढाल पर यमनोत्री हिमनद से है। यह गंगा नदी क्रम की महत्त्वपूर्ण नदी है। पर्वतीय क्षेत्र में इस नदी में मिलने वाली प्रमुख नदियां, टोस. गिरी तथा आसन हैं। उत्तर की और से टॉस नदी इसमें मिलती है। लघु हिमालय श्रेणी को काटकर यह मैदान में प्रविष्ट होती है तथा एक वृहद् चाप बनाते हुए प्रयोग में गंगा से मिलती है।
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3. रामगंगा:-
इस नदी का उद्गम स्थल कुमाऊं मण्डल में मध्य हिमालय श्रेणी है। मध्य हिमालय श्रेणी के दक्षिण में नैनीताल जिले से यह निकलती है। पर्वतीय क्षेत्र में 144 किलोमीटर दूरी में तीव्र गति से प्रवाहित होकर कालागढ़ में यह मैदान में प्रविष्ट होती है। इसकी कुल लम्बाई लगभग 600 किलोमीटर है।
4. शारदा:-
शारदा का उद्गम मिलम हिमनद में है जहां यह गोरी गंगा कहलाती है। ऊपरी भाग में धर्मा व लिसार इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं। 160 किलोमीटर बहने के उपरान्त पंचेश्वर के निकट उत्तर-पश्चिम की ओर से सरयू नदी आकर इसमें मिलती है। यहीं से यह नदी शारदा के नाम से पुकारी जाती है।
5 घाघरा:-
या में (कोणियाली) एवं मैदानी भाग में घाघरा के नाम से इसनी का उद्गम तकलाकोट के उत्तर पश्चिम में माकचा चुग हिम में है। गुरलामाता के दक्षिण-पश्चिमी सिरे का चक्कर लगाती मुरुप हिमालय तथा शिवालिक श्रृंखला को पारकर गहरी एवं संकीर्ण घाटी का निर्माण करती है। शिवालिक पहाड़ियों में नदी घाटी की चौड़ाई 180 मीटर तथा गहराई 600 मोटर से भी अधिक है। पर्वतीय क्षेत्र में टीला, सेती, बेरो आदि नदिया इसमें मिलती है।
6. सोंगनदी:-
यह नदी देहरादून के दक्षिण-पूर्वी भाग में बहती हुई वीरभद्र के समीपवर्ती क्षेत्र में गंगा नदी में मिल जाती है। यह नदी सुरकण्डा पर्वत से निकलकर उत्तर-पश्चिम दिशावत प्रवाहित होते हुए माल देवता के समीप बन्दाल नदी के जल को आत्मसात् करते हुये बल्दी नदी को अपने में मिलाकर आगे बढ़ती है। सुस्वा, सोंग नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है।
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प्रमुख सहायक नदी है।
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